EPFO: 'अगले साल से सीधे एटीएम से निकाल सकेंगे अपने पीएफ का पैसा', श्रम सचिव गिग वर्कर्स पर यह बोलीं

 EPFO: अगले साल से ईपीएफओ ग्राहक सीधे एटीएम से अपने भविष्य निधि को निकाल सकेंगे। श्रम सचिव सुमिता डावरा ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने आगे क्या कहा आइए जानें।




श्रम मंत्रालय देश के विशाल कार्यबल को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने आईटी सिस्टम को अपग्रेड कर रहा है। अगले साल से ईपीएफओ ग्राहक सीधे एटीएम से अपने भविष्य निधि को निकाल सकेंगे। श्रम सचिव सुमिता डावरा ने मंगलवार को यह बात कही।

श्रम सचिव ने कहा , "हम दावों का तेजी से निपटान कर रहे हैं और जीवन को आसान बनाने और प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए काम कर रहे हैं। एक दावेदार, लाभार्थी या बीमित व्यक्ति न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ एटीएम के माध्यम से अपने दावों तक आसानी से पहुंच सकेगा।" 

उन्होंने एएनआई को बताया, "सिस्टम विकसित हो रहे हैं और हर दो से तीन महीने में आपको महत्वपूर्ण सुधार दिखाई देंगे। मेरा मानना है कि जनवरी 2025 तक इसमें बड़ा सुधार होगा।" कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में सात करोड़ से अधिक सक्रिय योगदानकर्ता हैं। श्रम सचिव ने जीवन को आसान बनाने के लिए ईपीएफओ सेवाओं को बेहतर बनाने के सरकार के प्रयासों पर भी जोर दिया। 


गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा लाभ देने की योजना के बारे में, डावरा ने कहा कि इस मामले में प्रगति हो रही है, लेकिन इसके लिए उन्होंने किसी समयसीमा के बारे में नहीं बताया। उन्होंने कहा, "बहुत काम किया गया है, और हमने एक योजना की रूपरेखा तैयार की है जो अब अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।" इन लाभों में चिकित्सा स्वास्थ्य कवरेज, भविष्य निधि और विकलांगता के मामलों में वित्तीय सहायता शामिल हो सकती है। 


गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा और कल्याण लाभ प्रदान करने के लिए एक रूपरेखा का प्रस्ताव करने के लिए विभिन्न हितधारकों के प्रतिनिधियों वाली एक समिति की स्थापना की गई है। 


गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को पहली बार सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में परिभाषित किया गया था, जिसे संसद जिसे संसद ने पास किया। उनकी सामाजिक सुरक्षा और कल्याण से संबंधित प्रावधान संहिता में शामिल हैं। श्रम सचिव ने बेरोजगारी पर भी बात की और कहा कि इसके बढ़ने की दर में गिरावट आई है।


उन्होंने कहा, "2017 में बेरोजगारी दर छह प्रतिशत थी। आज यह घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा, हमारा कार्यबल बढ़ रहा है। श्रम बल भागीदारी दर बढ़ रही है और श्रमिक भागीदारी अनुपात, जो दर्शाता है कि वास्तव में कितने लोग कार्यरत हैं, 58 प्रतिशत तक पहुंच गया है और इसमें वृद्धि जारी है।"


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