आसानी से होंगे दर्शन, पार्किंग सुविधा अलग… फिर भी बांके बिहारी कॉरिडोर का इतना विरोध क्यों?
Banke Bihari Corridor: बताया जा रहा है कि योगी सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट 5 एकड़ में बनकर तैयार होगा। इसके निर्माण में कम से कम 3 साल लगने वाले हैं।
Banke Bihari Corridor: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लंबे समय से वृंदावन में बांके बिहारी कॉरिडोर का निर्माण चाहती है, लेकिन गोस्वामी समाज के विरोध की वजह से सीएम योगी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट बीच मझधार में फंसा हुआ है। बड़ी बात यह है कि इस प्रोजेक्ट पर यूपी सरकार 500 करोड़ रुपए खर्च कर रही है, अगर बांके बिहारी कॉरिडोर का निर्माण पूरा हो जाता है तो भक्त आसानी से दर्शन कर पाएंगे, आरती के समय उन्हें ज्यादा जगह मिलेगी, इसके ऊपर पार्किंग के लिए भी अलग से स्पेस होगा।
क्या है बांके बिहारी कॉरिडोर?
बताया जा रहा है कि योगी सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट 5 एकड़ में बनकर तैयार होगा। इसके निर्माण में कम से कम 3 साल लगने वाले हैं। कॉरिडोर की वजह से मंदिर का रास्ता पहले की तुलना में काफी चौड़ा तो हो ही जाएगा, इसके साथ-साथ एंट्री के लिए अलग से तीन गेट बनेंगे। 30000 वर्ग मीटर में पार्किंग एरिया खड़ा करने की भी तैयारी है। सरकार की माने तो इस कॉरिडोर को इस तरह से तैयार किया जाएगा कि इसका एक हिस्सा मंदिर क्षेत्र के लिए होगा तो वहीं दूसरा हिस्सा परिक्रमा का होगा।
अब सरकार के पास अपने सारे तर्क तैयार हैं, यूपी के ही कई बड़े अधिकारी इस समय वृंदावन में लोगों से बात कर रहे हैं। खुद सांसद हेमा मालिनी भी लोगों को इस कॉरिडोर के फायदे बताते नहीं थक रही हैं। सरकार के लिए राहत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी 5 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की इजाजत पहले ही दे दी है। ऐसे में कोर्ट की इजाजत है, सरकार के पास पैसा है, लेकिन फिर भी सीएम योगी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट अभी पूरा नहीं हो पा रहा है।
गोस्वामी समाज क्यों कर रहा विरोध?
इस समय योगी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें गोस्वामी समाज को अपने पक्ष में लाना पड़ेगा। अब गोस्वामी समाज कुछ वजहों से बांके बिहारी कॉरिडोर का इस समय विरोध कर रहा है। असल में गोस्वामी समाज के बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर चार बड़े डर हैं। पहला डर तो उनका यह है कि कॉरिडोर बनने से कुंज की गलियां पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगी। समाज का दूसरा डर यह है कि अगर कॉरिडोर का निर्माण हुआ, उसका सीधा असर वृंदावन की संस्कृति पर पड़ेगा। तीसरा डर इस बात को लेकर है कि इस कॉरिडोर की वजह से दुकानदारों की इनकम पर सीधा असर पड़ेगा। गोस्वामी समाज का चौथा डर निर्माण काम के दौरान टेंडर में मनमानी को लेकर है।
एक हादसे के बाद कॉरिडोर की मांग
अब इस नाराजगी के बीच यह समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर बांके बिहारी में कॉरिडोर निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी है। सरकार के जरूर अपने तर्क हैं, लेकिन एक हादसा भी है जिस वजह से इस कॉरिडोर की जरूरत महसूस होनी शुरू हो गई। यह बात 19 अगस्त 2022 की है जब मंगला आरती के दौरान दो श्रद्धालुओं की बांके बिहारी मंदिर में दर्दनाक मौत हो गई थी, वहीं आठ भक्त घायल हुए थे। उस हादसे के बाद ही हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और वही से ही योगी सरकार को बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने की इजाजत मिली। लेकिन अभी क्योंकि गोस्वामी समाज अपने विरोध पर अड़ा हुआ है, इस वजह से जमीन पर इस कॉरिडोर का निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
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